Read Surah Fussilatwith translation
إِلَيْهِ يُرَدُّ عِلْمُ ٱلسَّاعَةِ وَمَا تَخْرُجُ مِن ثَمَرَٰتٍ مِّنْ أَكْمَامِهَا وَمَا تَحْمِلُ مِنْ أُنثَىٰ وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلْمِهِۦ وَيَوْمَ يُنَادِيهِمْ أَيْنَ شُرَكَآءِى قَالُوٓا۟ ءَاذَنَّٰكَ مَا مِنَّا مِن شَهِيدٍ
Ilayhi yuraddu AAilmu alssaAAati wama takhruju min thamaratin min akmamiha wama tahmilu min ontha wala tadaAAu illa biAAilmihi wayawma yunadeehim ayna shurakaee qaloo athannaka ma minna min shaheedin
क़यामत के इल्म का हवाला उसी की तरफ है (यानि वही जानता है) और बगैर उसके इल्म व (इरादे) के न तो फल अपने पौरों से निकलते हैं और न किसी औरत को हमल रखता है और न वह बच्चा जनती है और जिस दिन (ख़ुदा) उन (मुशरेकीन) को पुकारेगा और पूछेगा कि मेरे शरीक कहाँ हैं- वह कहेंगे हम तो तुझ से अर्ज़ कर चूके हैं कि हम में से कोई (उनसे) वाकिफ़ ही नहीं
وَضَلَّ عَنْهُم مَّا كَانُوا۟ يَدْعُونَ مِن قَبْلُ وَظَنُّوا۟ مَا لَهُم مِّن مَّحِيصٍ
Wadalla AAanhum ma kanoo yadAAoona min qablu wathannoo ma lahum min maheesin
और इससे पहले जिन माबूदों की परसतिश करते थे वह ग़ायब हो गये और ये लोग समझ जाएगें कि उनके लिए अब मुख़लिसी नहीं
لَّا يَسْـَٔمُ ٱلْإِنسَٰنُ مِن دُعَآءِ ٱلْخَيْرِ وَإِن مَّسَّهُ ٱلشَّرُّ فَيَـُٔوسٌ قَنُوطٌ
La yasamu alinsanu min duAAai alkhayri wain massahu alshsharru fayaoosun qanootun
इन्सान भलाई की दुआए मांगने से तो कभी उकताता नहीं और अगर उसको कोई तकलीफ पहुँच जाए तो (फौरन) न उम्मीद और बेआस हो जाता है
وَلَئِنْ أَذَقْنَٰهُ رَحْمَةً مِّنَّا مِنۢ بَعْدِ ضَرَّآءَ مَسَّتْهُ لَيَقُولَنَّ هَٰذَا لِى وَمَآ أَظُنُّ ٱلسَّاعَةَ قَآئِمَةً وَلَئِن رُّجِعْتُ إِلَىٰ رَبِّىٓ إِنَّ لِى عِندَهُۥ لَلْحُسْنَىٰ فَلَنُنَبِّئَنَّ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِمَا عَمِلُوا۟ وَلَنُذِيقَنَّهُم مِّنْ عَذَابٍ غَلِيظٍ
Walain athaqnahu rahmatan minna min baAAdi darraa massathu layaqoolanna hatha lee wama athunnu alssaAAata qaimatan walain rujiAAtu ila rabbee inna lee AAindahu lalhusna falanunabbianna allatheena kafaroo bima AAamiloo walanutheeqannahum min AAathabin ghaleethin
और अगर उसको कोई तकलीफ पहुँच जाने के बाद हम उसको अपनी रहमत का मज़ा चखाएँ तो यक़ीनी कहने लगता है कि ये तो मेरे लिए ही है और मैं नहीं ख़याल करता कि कभी क़यामत बरपा होगी और अगर (क़यामत हो भी और) मैं अपने परवरदिगार की तरफ़ लौटाया भी जाऊँ तो भी मेरे लिए यक़ीनन उसके यहाँ भलाई ही तो है जो आमाल करते रहे हम उनको (क़यामत में) ज़रूर बता देंगें और उनको सख्त अज़ाब का मज़ा चख़ाएगें
وَإِذَآ أَنْعَمْنَا عَلَى ٱلْإِنسَٰنِ أَعْرَضَ وَنَـَٔا بِجَانِبِهِۦ وَإِذَا مَسَّهُ ٱلشَّرُّ فَذُو دُعَآءٍ عَرِيضٍ
Waitha anAAamna AAala alinsani aAArada wanaa bijanibihi waitha massahu alshsharru fathoo duAAain AAareedin
(वह अलग) और जब हम इन्सान पर एहसान करते हैं तो (हमारी तरफ से) मुँह फेर लेता है और मुँह बदलकर चल देता है और जब उसे तकलीफ़ पहुँचती है तो लम्बी चौड़ी दुआएँ करने लगता है
قُلْ أَرَءَيْتُمْ إِن كَانَ مِنْ عِندِ ٱللَّهِ ثُمَّ كَفَرْتُم بِهِۦ مَنْ أَضَلُّ مِمَّنْ هُوَ فِى شِقَاقٍۭ بَعِيدٍ
Qul araaytum in kana min AAindi Allahi thumma kafartum bihi man adallu mimman huwa fee shiqaqin baAAeedin
(ऐ रसूल) तुम कहो कि भला देखो तो सही कि अगर ये (क़ुरान) ख़ुदा की बारगाह से (आया) हो और फिर तुम उससे इन्कार करो तो जो (ऐसे) परले दर्जे की मुख़ालेफत में (पड़ा) हो उससे बढ़कर और कौन गुमराह हो सकता है
سَنُرِيهِمْ ءَايَٰتِنَا فِى ٱلْءَافَاقِ وَفِىٓ أَنفُسِهِمْ حَتَّىٰ يَتَبَيَّنَ لَهُمْ أَنَّهُ ٱلْحَقُّ أَوَلَمْ يَكْفِ بِرَبِّكَ أَنَّهُۥ عَلَىٰ كُلِّ شَىْءٍ شَهِيدٌ
Sanureehim ayatina fee alafaqi wafee anfusihim hatta yatabayyana lahum annahu alhaqqu awalam yakfi birabbika annahu AAala kulli shayin shaheedun
हम अनक़रीब ही अपनी (क़ुदरत) की निशानियाँ अतराफ (आलम) में और ख़़ुद उनमें भी दिखा देगें यहाँ तक कि उन पर ज़ाहिर हो जाएगा कि वही यक़ीनन हक़ है क्या तुम्हारा परवरदिगार इसके लिए काफी नहीं कि वह हर चीज़ पर क़ाबू रखता है
أَلَآ إِنَّهُمْ فِى مِرْيَةٍ مِّن لِّقَآءِ رَبِّهِمْ أَلَآ إِنَّهُۥ بِكُلِّ شَىْءٍ مُّحِيطٌۢ
Ala innahum fee miryatin min liqai rabbihim ala innahu bikulli shayin muheetun
देखो ये लोग अपने परवरदिगार के रूबरू हाज़िर होने से शक़ में (पड़े) हैं सुन रखो वह हर चीज़ पर हावी है
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