Oku Surat ShuraSure okuma
ٱسْتَجِيبُوا۟ لِرَبِّكُم مِّن قَبْلِ أَن يَأْتِىَ يَوْمٌ لَّا مَرَدَّ لَهُۥ مِنَ ٱللَّهِ مَا لَكُم مِّن مَّلْجَإٍ يَوْمَئِذٍ وَمَا لَكُم مِّن نَّكِيرٍ
Istajeeboo lirabbikum min qabli an yatiya yawmun la maradda lahu mina Allahi ma lakum min maljain yawmaithin wama lakum min nakeerin
(लोगों) उस दिन के पहले जो ख़ुदा की तरफ से आयेगा और किसी तरह (टाले न टलेगा) अपने परवरदिगार का हुक्म मान लो (क्यों कि) उस दिन न तो तुमको कहीं पनाह की जगह मिलेगी और न तुमसे (गुनाह का) इन्कार ही बन पड़ेगा
فَإِنْ أَعْرَضُوا۟ فَمَآ أَرْسَلْنَٰكَ عَلَيْهِمْ حَفِيظًا إِنْ عَلَيْكَ إِلَّا ٱلْبَلَٰغُ وَإِنَّآ إِذَآ أَذَقْنَا ٱلْإِنسَٰنَ مِنَّا رَحْمَةً فَرِحَ بِهَا وَإِن تُصِبْهُمْ سَيِّئَةٌۢ بِمَا قَدَّمَتْ أَيْدِيهِمْ فَإِنَّ ٱلْإِنسَٰنَ كَفُورٌ
Fain aAAradoo fama arsalnaka AAalayhim hafeethan in AAalayka illa albalaghu wainna itha athaqna alinsana minna rahmatan fariha biha wain tusibhum sayyiatun bima qaddamat aydeehim fainna alinsana kafoorun
फिर अगर मुँह फेर लें तो (ऐ रसूल) हमने तुमको उनका निगेहबान बनाकर नहीं भेजा तुम्हारा काम तो सिर्फ (एहकाम का) पहुँचा देना है और जब हम इन्सान को अपनी रहमत का मज़ा चखाते हैं तो वह उससे ख़ुश हो जाता है और अगर उनको उन्हीं के हाथों की पहली करतूतों की बदौलत कोई तकलीफ पहुँचती (सब एहसान भूल गए) बेशक इन्सान बड़ा नाशुक्रा है
لِّلَّهِ مُلْكُ ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَٱلْأَرْضِ يَخْلُقُ مَا يَشَآءُ يَهَبُ لِمَن يَشَآءُ إِنَٰثًا وَيَهَبُ لِمَن يَشَآءُ ٱلذُّكُورَ
Lillahi mulku alssamawati waalardi yakhluqu ma yashao yahabu liman yashao inathan wayahabu liman yashao alththukoora
सारे आसमान व ज़मीन की हुकूमत ख़ास ख़ुदा ही की है जो चाहता है पैदा करता है (और) जिसे चाहता है (फ़क़त) बेटियाँ देता है और जिसे चाहता है (महज़) बेटा अता करता है
أَوْ يُزَوِّجُهُمْ ذُكْرَانًا وَإِنَٰثًا وَيَجْعَلُ مَن يَشَآءُ عَقِيمًا إِنَّهُۥ عَلِيمٌ قَدِيرٌ
Aw yuzawwijuhum thukranan wainathan wayajAAalu man yashao AAaqeeman innahu AAaleemun qadeerun
या उनको बेटे बेटियाँ (औलाद की) दोनों किस्में इनायत करता है और जिसको चाहता है बांझ बना देता है बेशक वह बड़ा वाकिफ़कार क़ादिर है
وَمَا كَانَ لِبَشَرٍ أَن يُكَلِّمَهُ ٱللَّهُ إِلَّا وَحْيًا أَوْ مِن وَرَآئِ حِجَابٍ أَوْ يُرْسِلَ رَسُولًا فَيُوحِىَ بِإِذْنِهِۦ مَا يَشَآءُ إِنَّهُۥ عَلِىٌّ حَكِيمٌ
Wama kana libasharin an yukallimahu Allahu illa wahyan aw min warai hijabin aw yursila rasoolan fayoohiya biithnihi ma yashao innahu AAaliyyun hakeemun
और किसी आदमी के लिए ये मुमकिन नहीं कि ख़ुदा उससे बात करे मगर वही के ज़रिए से (जैसे) (दाऊद) परदे के पीछे से जैसे (मूसा) या कोई फ़रिश्ता भेज दे (जैसे मोहम्मद) ग़रज़ वह अपने एख्तेयार से जो चाहता है पैग़ाम भेज देता है बेशक वह आलीशान हिकमत वाला है
وَكَذَٰلِكَ أَوْحَيْنَآ إِلَيْكَ رُوحًا مِّنْ أَمْرِنَا مَا كُنتَ تَدْرِى مَا ٱلْكِتَٰبُ وَلَا ٱلْإِيمَٰنُ وَلَٰكِن جَعَلْنَٰهُ نُورًا نَّهْدِى بِهِۦ مَن نَّشَآءُ مِنْ عِبَادِنَا وَإِنَّكَ لَتَهْدِىٓ إِلَىٰ صِرَٰطٍ مُّسْتَقِيمٍ
Wakathalika awhayna ilayka roohan min amrina ma kunta tadree ma alkitabu wala aleemanu walakin jaAAalnahu nooran nahdee bihi man nashao min AAibadina wainnaka latahdee ila siratin mustaqeemin
और इसी तरह हमने अपने हुक्म को रूह (क़ुरान) तुम्हारी तरफ 'वही' के ज़रिए से भेजे तो तुम न किताब ही को जानते थे कि क्या है और न ईमान को मगर इस (क़ुरान) को एक नूर बनाया है कि इससे हम अपने बन्दों में से जिसकी चाहते हैं हिदायत करते हैं और इसमें शक़ नहीं कि तुम (ऐ रसूल) सीधा ही रास्ता दिखाते हो
صِرَٰطِ ٱللَّهِ ٱلَّذِى لَهُۥ مَا فِى ٱلسَّمَٰوَٰتِ وَمَا فِى ٱلْأَرْضِ أَلَآ إِلَى ٱللَّهِ تَصِيرُ ٱلْأُمُورُ
Sirati Allahi allathee lahu ma fee alssamawati wama fee alardi ala ila Allahi taseeru alomooru
(यानि) उसका रास्ता कि जो आसमानों में है और जो कुछ ज़मीन में है (ग़रज़ सब कुछ) उसी का है सुन रखो सब काम ख़ुदा ही की तरफ रूजू होंगे और वही फैसला करेगा
إِنَّا جَعَلْنَٰهُ قُرْءَٰنًا عَرَبِيًّا لَّعَلَّكُمْ تَعْقِلُونَ
Inna jaAAalnahu quranan AAarabiyyan laAAallakum taAAqiloona
हमने इस किताब को अरबी ज़बान कुरान ज़रूर बनाया है ताकि तुम समझो
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