Read Surah Taubahwith translation
فَسِيحُوا۟ فِى ٱلْأَرْضِ أَرْبَعَةَ أَشْهُرٍ وَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّكُمْ غَيْرُ مُعْجِزِى ٱللَّهِ وَأَنَّ ٱللَّهَ مُخْزِى ٱلْكَٰفِرِينَ
Faseehoo fee alardi arbaAAata ashhurin waiAAlamoo annakum ghayru muAAjizee Allahi waanna Allaha mukhzee alkafireena
तो (ऐ मुशरिकों) बस तुम चार महीने (ज़ीकादा, जिल हिज्जा, मुहर्रम रजब) तो (चैन से बेख़तर) रूए ज़मीन में सैरो सियाहत (घूम फिर) कर लो और ये समझते रहे कि तुम (किसी तरह) ख़ुदा को आजिज़ नहीं कर सकते और ये भी कि ख़ुदा काफ़िरों को ज़रूर रूसवा करके रहेगा
وَأَذَٰنٌ مِّنَ ٱللَّهِ وَرَسُولِهِۦٓ إِلَى ٱلنَّاسِ يَوْمَ ٱلْحَجِّ ٱلْأَكْبَرِ أَنَّ ٱللَّهَ بَرِىٓءٌ مِّنَ ٱلْمُشْرِكِينَ وَرَسُولُهُۥ فَإِن تُبْتُمْ فَهُوَ خَيْرٌ لَّكُمْ وَإِن تَوَلَّيْتُمْ فَٱعْلَمُوٓا۟ أَنَّكُمْ غَيْرُ مُعْجِزِى ٱللَّهِ وَبَشِّرِ ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ بِعَذَابٍ أَلِيمٍ
Waathanun mina Allahi warasoolihi ila alnnasi yawma alhajji alakbari anna Allaha bareeon mina almushrikeena warasooluhu fain tubtum fahuwa khayrun lakum wain tawallaytum faiAAlamoo annakum ghayru muAAjizee Allahi wabashshiri allatheena kafaroo biAAathabin aleemin
और ख़ुदा और उसके रसूल की तरफ से हज अकबर के दिन (तुम) लोगों को मुनादी की जाती है कि ख़ुदा और उसका रसूल मुशरिकों से बेज़ार (और अलग) है तो (मुशरिकों) अगर तुम लोगों ने (अब भी) तौबा की तो तुम्हारे हक़ में यही बेहतर है और अगर तुम लोगों ने (इससे भी) मुंह मोड़ा तो समझ लो कि तुम लोग ख़ुदा को हरगिज़ आजिज़ नहीं कर सकते और जिन लोगों ने कुफ्र इख्तेयार किया उनको दर्दनाक अज़ाब की ख़ुश ख़बरी दे दो
إِلَّا ٱلَّذِينَ عَٰهَدتُّم مِّنَ ٱلْمُشْرِكِينَ ثُمَّ لَمْ يَنقُصُوكُمْ شَيْـًٔا وَلَمْ يُظَٰهِرُوا۟ عَلَيْكُمْ أَحَدًا فَأَتِمُّوٓا۟ إِلَيْهِمْ عَهْدَهُمْ إِلَىٰ مُدَّتِهِمْ إِنَّ ٱللَّهَ يُحِبُّ ٱلْمُتَّقِينَ
Illa allatheena AAahadtum mina almushrikeena thumma lam yanqusookum shayan walam yuthahiroo AAalaykum ahadan faatimmoo ilayhim AAahdahum ila muddatihim inna Allaha yuhibbu almuttaqeena
मगर (हाँ) जिन मुशरिकों से तुमने एहदो पैमान किया था फिर उन लोगों ने भी कभी कुछ तुमसे (वफ़ा एहद में) कमी नहीं की और न तुम्हारे मुक़ाबले में किसी की मदद की हो तो उनके एहद व पैमान को जितनी मुद्द्त के वास्ते मुक़र्रर किया है पूरा कर दो ख़ुदा परहेज़गारों को यक़ीनन दोस्त रखता है
فَإِذَا ٱنسَلَخَ ٱلْأَشْهُرُ ٱلْحُرُمُ فَٱقْتُلُوا۟ ٱلْمُشْرِكِينَ حَيْثُ وَجَدتُّمُوهُمْ وَخُذُوهُمْ وَٱحْصُرُوهُمْ وَٱقْعُدُوا۟ لَهُمْ كُلَّ مَرْصَدٍ فَإِن تَابُوا۟ وَأَقَامُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتَوُا۟ ٱلزَّكَوٰةَ فَخَلُّوا۟ سَبِيلَهُمْ إِنَّ ٱللَّهَ غَفُورٌ رَّحِيمٌ
Faitha insalakha alashhuru alhurumu faoqtuloo almushrikeena haythu wajadtumoohum wakhuthoohum waohsuroohum waoqAAudoo lahum kulla marsadin fain taboo waaqamoo alssalata waatawoo alzzakata fakhalloo sabeelahum inna Allaha ghafoorun raheemun
फिर जब हुरमत के चार महीने गुज़र जाएँ तो मुशरिकों को जहाँ पाओ (बे ताम्मुल) कत्ल करो और उनको गिरफ्तार कर लो और उनको कैद करो और हर घात की जगह में उनकी ताक में बैठो फिर अगर वह लोग (अब भी शिर्क से) बाज़ आऎं और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दे तो उनकी राह छोड़ दो (उनसे ताअरूज़ न करो) बेशक ख़ुदा बड़ा बख़्शने वाला मेहरबान है
وَإِنْ أَحَدٌ مِّنَ ٱلْمُشْرِكِينَ ٱسْتَجَارَكَ فَأَجِرْهُ حَتَّىٰ يَسْمَعَ كَلَٰمَ ٱللَّهِ ثُمَّ أَبْلِغْهُ مَأْمَنَهُۥ ذَٰلِكَ بِأَنَّهُمْ قَوْمٌ لَّا يَعْلَمُونَ
Wain ahadun mina almushrikeena istajaraka faajirhu hatta yasmaAAa kalama Allahi thumma ablighhu mamanahu thalika biannahum qawmun la yaAAlamoona
और (ऐ रसूल) अगर मुशरिकीन में से कोई तुमसे पनाह मागें तो उसको पनाह दो यहाँ तक कि वह ख़ुदा का कलाम सुन ले फिर उसे उसकी अमन की जगह वापस पहुँचा दो ये इस वजह से कि ये लोग नादान हैं
كَيْفَ يَكُونُ لِلْمُشْرِكِينَ عَهْدٌ عِندَ ٱللَّهِ وَعِندَ رَسُولِهِۦٓ إِلَّا ٱلَّذِينَ عَٰهَدتُّمْ عِندَ ٱلْمَسْجِدِ ٱلْحَرَامِ فَمَا ٱسْتَقَٰمُوا۟ لَكُمْ فَٱسْتَقِيمُوا۟ لَهُمْ إِنَّ ٱللَّهَ يُحِبُّ ٱلْمُتَّقِينَ
Kayfa yakoonu lilmushrikeena AAahdun AAinda Allahi waAAinda rasoolihi illa allatheena AAahadtum AAinda almasjidi alharami fama istaqamoo lakum faistaqeemoo lahum inna Allaha yuhibbu almuttaqeena
(जब) मुशरिकीन ने ख़ुद एहद शिकनी (तोड़ा) की तो उन का कोई एहदो पैमान ख़ुदा के नज़दीक और उसके रसूल के नज़दीक क्योंकर (क़ायम) रह सकता है मगर जिन लोगों से तुमने खानाए काबा के पास मुआहेदा किया था तो वह लोग (अपनी एहदो पैमान) तुमसे क़ायम रखना चाहें तो तुम भी उन से (अपना एहद) क़ायम रखो बेशक ख़ुदा (बद एहदी से) परहेज़ करने वालों को दोस्त रखता है
كَيْفَ وَإِن يَظْهَرُوا۟ عَلَيْكُمْ لَا يَرْقُبُوا۟ فِيكُمْ إِلًّا وَلَا ذِمَّةً يُرْضُونَكُم بِأَفْوَٰهِهِمْ وَتَأْبَىٰ قُلُوبُهُمْ وَأَكْثَرُهُمْ فَٰسِقُونَ
Kayfa wain yathharoo AAalaykum la yarquboo feekum illan wala thimmatan yurdoonakum biafwahihim wataba quloobuhum waaktharuhum fasiqoona
(उनका एहद) क्योंकर (रह सकता है) जब (उनकी ये हालत है) कि अगर तुम पर ग़लबा पा जाएं तो तुम्हारे में न तो रिश्ते नाते ही का लिहाज़ करेगें और न अपने क़ौल व क़रार का ये लोग तुम्हें अपनी ज़बानी (जमा खर्च में) खुश कर देते हैं हालॉकि उनके दिल नहीं मानते और उनमें के बहुतेरे तो बदचलन हैं
ٱشْتَرَوْا۟ بِـَٔايَٰتِ ٱللَّهِ ثَمَنًا قَلِيلًا فَصَدُّوا۟ عَن سَبِيلِهِۦٓ إِنَّهُمْ سَآءَ مَا كَانُوا۟ يَعْمَلُونَ
Ishtaraw biayati Allahi thamanan qaleelan fasaddoo AAan sabeelihi innahum saa ma kanoo yaAAmaloona
और उन लोगों ने ख़ुदा की आयतों के बदले थोड़ी सी क़ीमत (दुनियावी फायदे) हासिल करके (लोगों को) उसकी राह से रोक दिया बेशक ये लोग जो कुछ करते हैं ये बहुत ही बुरा है
لَا يَرْقُبُونَ فِى مُؤْمِنٍ إِلًّا وَلَا ذِمَّةً وَأُو۟لَٰٓئِكَ هُمُ ٱلْمُعْتَدُونَ
La yarquboona fee muminin illan wala thimmatan waolaika humu almuAAtadoona
ये लोग किसी मोमिन के बारे में न तो रिश्ता नाता ही कर लिहाज़ करते हैं और न क़ौल का क़रार का और (वाक़ई) यही लोग ज्यादती करते हैं
فَإِن تَابُوا۟ وَأَقَامُوا۟ ٱلصَّلَوٰةَ وَءَاتَوُا۟ ٱلزَّكَوٰةَ فَإِخْوَٰنُكُمْ فِى ٱلدِّينِ وَنُفَصِّلُ ٱلْءَايَٰتِ لِقَوْمٍ يَعْلَمُونَ
Fain taboo waaqamoo alssalata waatawoo alzzakata faikhwanukum fee alddeeni wanufassilu alayati liqawmin yaAAlamoona
तो अगर (अभी मुशरिक से) तौबा करें और नमाज़ पढ़ने लगें और ज़कात दें तो तुम्हारे दीनी भाई हैं और हम अपनी आयतों को वाक़िफकार लोगों के वास्ते तफ़सीलन बयान करते हैं
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