Read Surah Fatirwith translation
يَٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ ٱذْكُرُوا۟ نِعْمَتَ ٱللَّهِ عَلَيْكُمْ هَلْ مِنْ خَٰلِقٍ غَيْرُ ٱللَّهِ يَرْزُقُكُم مِّنَ ٱلسَّمَآءِ وَٱلْأَرْضِ لَآ إِلَٰهَ إِلَّا هُوَ فَأَنَّىٰ تُؤْفَكُونَ
Ya ayyuha alnnasu othkuroo niAAmata Allahi AAalaykum hal min khaliqin ghayru Allahi yarzuqukum mina alssamai waalardi la ilaha illa huwa faanna tufakoona
लोगों खुदा के एहसानात को जो उसने तुम पर किए हैं याद करो क्या खुदा के सिवा कोई और ख़ालिक है जो आसमान और ज़मीन से तुम्हारी रोज़ी पहुँचाता है उसके सिवा कोई माबूद क़ाबिले परसतिश नहीं फिर तुम किधर बहके चले जा रहे हो
وَإِن يُكَذِّبُوكَ فَقَدْ كُذِّبَتْ رُسُلٌ مِّن قَبْلِكَ وَإِلَى ٱللَّهِ تُرْجَعُ ٱلْأُمُورُ
Wain yukaththibooka faqad kuththibat rusulun min qablika waila Allahi turjaAAu alomooru
और (ऐ रसूल) अगर ये लोग तुम्हें झुठलाएँ तो (कुढ़ो नहीं) तुमसे पहले बहुतेरे पैग़म्बर (लोगों के हाथों) झुठलाए जा चुके हैं और (आख़िर) कुल उमूर की रूजू तो खुदा ही की तरफ है
يَٰٓأَيُّهَا ٱلنَّاسُ إِنَّ وَعْدَ ٱللَّهِ حَقٌّ فَلَا تَغُرَّنَّكُمُ ٱلْحَيَوٰةُ ٱلدُّنْيَا وَلَا يَغُرَّنَّكُم بِٱللَّهِ ٱلْغَرُورُ
Ya ayyuha alnnasu inna waAAda Allahi haqqun fala taghurrannakumu alhayatu alddunya wala yaghurrannakum biAllahi algharooru
लोगों खुदा का (क़यामत का) वायदा यक़ीनी बिल्कुल सच्चा है तो (कहीं) तुम्हें दुनिया की (चन्द रोज़ा) ज़िन्दगी फ़रेब में न लाए (ऐसा न हो कि शैतान) तुम्हें खुदा के बारे में धोखा दे
إِنَّ ٱلشَّيْطَٰنَ لَكُمْ عَدُوٌّ فَٱتَّخِذُوهُ عَدُوًّا إِنَّمَا يَدْعُوا۟ حِزْبَهُۥ لِيَكُونُوا۟ مِنْ أَصْحَٰبِ ٱلسَّعِيرِ
Inna alshshaytana lakum AAaduwwun faittakhithoohu AAaduwwan innama yadAAoo hizbahu liyakoonoo min ashabi alssaAAeeri
बेशक शैतान तुम्हारा दुश्मन है तो तुम भी उसे अपना दुशमन बनाए रहो वह तो अपने गिरोह को बस इसलिए बुलाता है कि वह लोग (सब के सब) जहन्नुमी बन जाएँ
ٱلَّذِينَ كَفَرُوا۟ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ وَٱلَّذِينَ ءَامَنُوا۟ وَعَمِلُوا۟ ٱلصَّٰلِحَٰتِ لَهُم مَّغْفِرَةٌ وَأَجْرٌ كَبِيرٌ
Allatheena kafaroo lahum AAathabun shadeedun waallatheena amanoo waAAamiloo alssalihati lahum maghfiratun waajrun kabeerun
जिन लोगों ने (दुनिया में) कुफ्र इख़तेयार किया उनके लिए (आखेरत में) सख्त अज़ाब है और जिन लोगों ने ईमान क़ुबूल किया और अच्छे-अच्छे काम किए उनके लिए (गुनाहों की) मग़फेरत और निहायत अच्छा बदला (बेहश्त) है
أَفَمَن زُيِّنَ لَهُۥ سُوٓءُ عَمَلِهِۦ فَرَءَاهُ حَسَنًا فَإِنَّ ٱللَّهَ يُضِلُّ مَن يَشَآءُ وَيَهْدِى مَن يَشَآءُ فَلَا تَذْهَبْ نَفْسُكَ عَلَيْهِمْ حَسَرَٰتٍ إِنَّ ٱللَّهَ عَلِيمٌۢ بِمَا يَصْنَعُونَ
Afaman zuyyina lahu sooo AAamalihi faraahu hasanan fainna Allaha yudillu man yashao wayahdee man yashao fala tathhab nafsuka AAalayhim hasaratin inna Allaha AAaleemun bima yasnaAAoona
तो भला वह शख्स जिसे उस का बुरा काम शैतानी (अग़वॉ से) अच्छा कर दिखाया गया है औ वह उसे अच्छा समझने लगा है (कभी मोमिन नेकोकार के बराबर हो सकता है हरगिज़ नहीं) तो यक़ीनी (बात) ये है कि ख़ुदा जिसे चाहता है गुमराही में छोड़ देता है और जिसे चाहता है राहे रास्त पर आने (की तौफ़ीक़) देता है तो (ऐ रसूल कहीं) उन (बदबख्तों) पर अफसोस कर करके तुम्हारे दम न निकल जाए जो कुछ ये लोग करते हैं ख़ुदा उससे खूब वाक़िफ़ है
وَٱللَّهُ ٱلَّذِىٓ أَرْسَلَ ٱلرِّيَٰحَ فَتُثِيرُ سَحَابًا فَسُقْنَٰهُ إِلَىٰ بَلَدٍ مَّيِّتٍ فَأَحْيَيْنَا بِهِ ٱلْأَرْضَ بَعْدَ مَوْتِهَا كَذَٰلِكَ ٱلنُّشُورُ
WaAllahu allathee arsala alrriyaha fatutheeru sahaban fasuqnahu ila baladin mayyitin faahyayna bihi alarda baAAda mawtiha kathalika alnnushooru
और ख़ुदा ही वह (क़ादिर व तवाना) है जो हवाओं को भेजता है तो हवाएँ बादलों को उड़ाए-उड़ाए फिरती है फिर हम उस बादल को मुर्दा (उफ़तादा) शहर की तरफ हका देते हैं फिर हम उसके ज़रिए से ज़मीन को उसके मर जाने के बाद शादाब कर देते हैं यूँ ही (मुर्दों को क़यामत में जी उठना होगा)
مَن كَانَ يُرِيدُ ٱلْعِزَّةَ فَلِلَّهِ ٱلْعِزَّةُ جَمِيعًا إِلَيْهِ يَصْعَدُ ٱلْكَلِمُ ٱلطَّيِّبُ وَٱلْعَمَلُ ٱلصَّٰلِحُ يَرْفَعُهُۥ وَٱلَّذِينَ يَمْكُرُونَ ٱلسَّيِّـَٔاتِ لَهُمْ عَذَابٌ شَدِيدٌ وَمَكْرُ أُو۟لَٰٓئِكَ هُوَ يَبُورُ
Man kana yureedu alAAizzata falillahi alAAizzatu jameeAAan ilayhi yasAAadu alkalimu alttayyibu waalAAamalu alssalihu yarfaAAuhu waallatheena yamkuroona alssayyiati lahum AAathabun shadeedun wamakru olaika huwa yabooru
जो शख्स इज्ज़त का ख्वाहाँ हो तो ख़ुदा से माँगे क्योंकि सारी इज्ज़त खुदा ही की है उसकी बारगाह तक अच्छी बातें (बुलन्द होकर) पहुँचतीं हैं और अच्छे काम को वह खुद बुलन्द फरमाता है और जो लोग (तुम्हारे ख़िलाफ) बुरी-बुरी तदबीरें करते रहते हैं उनके लिए क़यामत में सख्त अज़ाब है और (आख़िर) उन लोगों की तदबीर मटियामेट हो जाएगी
وَٱللَّهُ خَلَقَكُم مِّن تُرَابٍ ثُمَّ مِن نُّطْفَةٍ ثُمَّ جَعَلَكُمْ أَزْوَٰجًا وَمَا تَحْمِلُ مِنْ أُنثَىٰ وَلَا تَضَعُ إِلَّا بِعِلْمِهِۦ وَمَا يُعَمَّرُ مِن مُّعَمَّرٍ وَلَا يُنقَصُ مِنْ عُمُرِهِۦٓ إِلَّا فِى كِتَٰبٍ إِنَّ ذَٰلِكَ عَلَى ٱللَّهِ يَسِيرٌ
WaAllahu khalaqakum min turabin thumma min nutfatin thumma jaAAalakum azwajan wama tahmilu min ontha wala tadaAAu illa biAAilmihi wama yuAAammaru min muAAammarin wala yunqasu min AAumurihi illa fee kitabin inna thalika AAala Allahi yaseerun
और खुदा ही ने तुम लोगों को (पहले पहल) मिट्टी से पैदा किया फिर नतफ़े से फिर तुमको जोड़ा (नर मादा) बनाया और बग़ैर उसके इल्म (इजाज़त) के न कोई औरत हमेला होती है और न जनती है और न किसी शख्स की उम्र में ज्यादती होती है और न किसी की उम्र से कमी की जाती है मगर वह किताब (लौहे महफूज़) में (ज़रूर) है बेशक ये बात खुदा पर बहुत ही आसान है
وَمَا يَسْتَوِى ٱلْبَحْرَانِ هَٰذَا عَذْبٌ فُرَاتٌ سَآئِغٌ شَرَابُهُۥ وَهَٰذَا مِلْحٌ أُجَاجٌ وَمِن كُلٍّ تَأْكُلُونَ لَحْمًا طَرِيًّا وَتَسْتَخْرِجُونَ حِلْيَةً تَلْبَسُونَهَا وَتَرَى ٱلْفُلْكَ فِيهِ مَوَاخِرَ لِتَبْتَغُوا۟ مِن فَضْلِهِۦ وَلَعَلَّكُمْ تَشْكُرُونَ
Wama yastawee albahrani hatha AAathbun furatun saighun sharabuhu wahatha milhun ojajun wamin kullin takuloona lahman tariyyan watastakhrijoona hilyatan talbasoonaha watara alfulka feehi mawakhira litabtaghoo min fadlihi walaAAallakum tashkuroona
(उसकी कुदरत देखो) दो समन्दर बावजूद मिल जाने के यकसाँ नहीं हो जाते ये (एक तो) मीठा खुश ज़ाएका कि उसका पीना सुवारत (ख़ुश्गवार) है और ये (दूसरा) खारी कड़ुवा है और (इस इख़तेलाफ पर भी) तुम लोग दोनों से (मछली का) तरो ताज़ा गोश्त (यकसाँ) खाते हो और (अपने लिए ज़ेवरात (मोती वग़ैरह) निकालते हो जिन्हें तुम पहनते हो और तुम देखते हो कि कश्तियां दरिया में (पानी को) फाड़ती चली जाती हैं ताकि उसके फज्ल (व करम तिजारत) की तलाश करो और ताकि तुम लोग शुक्र करो
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